महाराज जी के बारे में
महाराज जी का जन्म सन 1983 को हुआ। पिता जी का नाम श्री राधारमन और माता का नाम श्रीमती तारावती है। महाराज जी ने लोंगों की भांति साधारण जीवन जीया। गरीबी के कारण महाराज जी की शिक्षा पूरी नहीं हो सकी। महाराज जी का मन भक्ति भाव और पूजा पाठ में बचपन से ही था। सन 2008 में महाराज जी के द्वारा पहली भागवत कथा की गई। धीरे धीरे उन्होंने अपनी यात्रा प्रारम्भ की।
जन्म के समय महाराज जी का नाम गिरीश गोविन्द था। एक रात महाराज जी के सपने में भगवन श्री कृष्ण जी के बड़े भाई दाऊ जी (बलदेव महाराज ) ने दर्शन देकर महाराज जी से कहा की मैं तेरे साथ हु तू मेरे नाम को धारण कर जिससे तेरा कल्याण होगा। तब से गिरीश गोविन्द महाराज जी ने अपना नाम पंडित दाऊ नंदन जी महाराज रख दिया।
प्राचीन शास्त्रों की गहरी समझ और लोगों के हृदयों से जुड़ने की स्वाभाविक क्षमता के साथ, दाऊ नंदन जी महाराज एक प्रकाश स्तंभ बन गए हैं, जो राम कथा और भागवत कथा और शिव महापुराण की शाश्वत ज्ञान को व्यापक रूप से फैलाते हैं। उनके प्रवचन भक्ति, नैतिकता और आध्यात्मिकता के सार को एकत्रित करते हैं, जिससे विभिन्न पृष्ठभूमियों के व्यक्तियों को ज्ञान और प्रेरणा मिलती है।
विनम्रता और आभार के साथ, दाऊ नंदन जी महाराज मानवता की सेवा में समर्पित हैं, जो सभी को ज्ञान, सांत्वना और आध्यात्मिक उत्थान प्रदान करते हैं। उनका उद्देश्य व्यक्तियों को धर्म, भक्ति और आत्म-साक्षात्कार के मार्ग पर मार्गदर्शन करना है, जो अंततः उन्हें आंतरिक आनंद और भगवान राम तथा भगवान कृष्ण और भगवान शिव की दिव्य कृपा की ओर ले जाता है।