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दाऊ नंदन जी महाराज

भागवत कथा वाचक

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श्रीमद्भागवत कथा

भगवत कथा के अंतर्गत भागवत पुराण हिन्दू धर्म के एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है। इसे श्रीमद्भागवतम् या केवल भागवतम् नाम से भी जाना जाता है। इस पुराण का मुख्य ध्येय भक्ति योग है, जिसमें भगवान कृष्ण को सभी देवताओं के देव या स्वयं भगवान के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है। इस पुराण के अनुसार, श्रीकृष्ण के प्रति सच्चे मन से भक्ति करने से जीवन में उद्धार होता है और भगवान का आनंद प्राप्त होता है। इसे वेद व्यास द्वारा रचा गया माना जाता है और इसमें विविध उपाख्यानों के माध्यम से ज्ञान, भक्ति, मुक्ति, अनुग्रह, धर्म और वैराग्य जैसे विषयों का विस्तार किया गया है। श्रीमद्भागवत भारतीय साहित्य का गर्व और मुकुटमणि है।

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श्रीमद् देवी भागवत कथा

देवी भागवत पुराण, जिसे देवी भागवतम, भागवत पुराण, श्रीमद भागवतम और श्रीमद देवी भागवतम के नाम से भी जाना जाता है, देवी भगवती आदिशक्ति/दुर्गा जी को समर्पित एक संस्कृत पाठ है और हिंदू धर्म के अठारह प्रमुख महा पुराणों में से एक है जोकि महर्षि वेद व्यास जी द्वारा रचित है। इस पाठ को देवी उपासकों और शाक्त सम्प्रदाय के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह महापुराण परम पवित्र वेद की प्रसिद्ध श्रुतियों के अर्थ से अनुमोदित, अखिल शास्त्रों के रहस्यका स्रोत तथा आगमों में अपना प्रसिद्ध स्थान रखता है। यह सर्ग, प्रतिसर्ग, वंश, वंशानुकीर्ति, मन्वन्तर आदि पाँचों लक्षणों से पूर्ण हैं।

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श्री राम कथा

श्रीरामचरितमानस, राम कथा मानवता के बेहद बड़े मार्गदर्शक के रूप में सामान्य जीवन की सुझाव भरी शिक्षा प्रदान करता है। इसमें सात काण्ड हैं, जो मानव जीवन को समृद्धि और सामंजस्यपूर्णता की दिशा में अग्रसर करने के लिए एक मूल्यवान सीढ़ी की भूमिका निभाते हैं। इन काण्डों को 'सोपान' कहा गया है, जिसका अर्थ है की ये राम जी के पावन चरणों तक पहुंचने के लिए एक उच्च स्तरीय और मार्गदर्शक सीढ़ी हैं। उसी रूप में जैसे परमात्मा श्रीकृष्ण का नाम-स्वरूप श्रीमद्भागवत है, वैसे ही रामायण और श्रीरामचरितमानस प्रभु श्रीराम की भाषा और साहित्यिक रूप हैं। इसके सात काण्ड मानव जीवन को विभिन्न पहलुओं से देखने और समझने की क्षमता प्रदान करते हैं।

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श्री शिव महापुराण

शिव पुराण सभी पुराणों में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण व सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली पुराणों में से एक है। भगवान शिव के विविध रूपों, अवतारों, ज्योतिर्लिंगों, भक्तों और भक्ति का विशद् वर्णन किया गया है। इसमें शिव के कल्याणकारी स्वरूप का तात्त्विक विवेचन, रहस्य, महिमा और उपासना का विस्तृत वर्णन है। शिव पुराण में शिव को पंचदेवों में प्रधान अनादि सिद्ध परमेश्वर के रूप में स्वीकार किया गया है। शिव-महिमा, लीला-कथाओं के अतिरिक्त इसमें पूजा-पद्धति, अनेक ज्ञानप्रद आख्यान और शिक्षाप्रद कथाओं का सुन्दर संयोजन है। इसमें भगवान शिव के भव्यतम व्यक्तित्व का गुणगान किया गया है। शिव- जो स्वयंभू हैं, शाश्वत हैं, सर्वोच्च सत्ता है, विश्व चेतना हैं और ब्रह्माण्डीय अस्तित्व के आधार हैं।

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गऊ कथा

ये कथा भीष्म पितामह ने युधिषिठर को सुनाई थी। असल में भीष्म पितामह का कहना था कि गाय का मूत्र और गोबर इतना गुणवान है कि इससे हर रोग का निवारण हो सकता है इतना ही नहीं इसमें माँ लक्ष्मी का भी वास होता है इसलिए इसे बहुत शुभ माना जाता है। हमारे हिन्दू धर्म में गाय को माँ का दर्ज़ा दिया जाता है। कुछ लोग इससे गाय माँ और कुछ गाय माता कहते है। यहाँ तक कि अगर हम शास्त्रो का इतिहास देखे तो गाय भगवान् कृष्ण को बहुत प्रिय लगती थी इसलिए तो वो ज्यादातर समय अपनी गायों के साथ व्यतीत करते थे।

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